बिना कुण्डली के जानें सूर्य ग्रह का फल व उपाय
Kundali me surya ka prabhavprabhav
कुण्डली मे सूर्य ग्रह का प्रभाव
जिस तरह घर के मुखिया के कमजोर होने पर घर की स्थिति भी कमजोर होती है उसी तरह कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर अन्य ग्रह भी अच्छे फल नहीं देते। लाल किताब के अनुसार कुंडली में सूर्य के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है। यहां जानिए संक्षिप्त जानकारी।
सूर्य ग्रह का उपाय
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कैसे होता सूर्य खराब? :
* घर की पूर्व दिशा दूषित होने से।
* विष्णु का अपमान।
* पिता का सम्मान न करना।
* देर से सोकर उठना।
* रात्रि के कर्मकांड करना।
* राजाज्ञा-न्याय का उल्लंघन करना।
* शुक्र, राहु और शनि के साथ मिलने से मंदा फल।
यदि सूर्य शुभ है तो कांतिमय चेहरे और आंखों वाला व्यक्ति महान राजनीतिज्ञ भी हो सकता है या सरकारी महकमे का कोई बड़ा अधिकारी। सोच-समझकर हित अनुसार गुस्सा करने वाला व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। सूर्य नवम और दशम भाव में सर्वश्रेष्ठ हैं।
सूर्य की बीमारी :
* व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है।
* दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है।
* सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है।
* मुंह में थूक बना रहता है।
* दिल का रोग हो जाता है, जैसे धड़कन का कम-ज्यादा होना।
* मुंह और दांतों में तकलीफ हो जाती है।
* बेहोशी का रोग हो जाता है।
* सिरदर्द बना रहता है।
सूर्य उज्ज्वल एवं ज्वलंत ग्रह है, इसकी शक्ति द्वारा जीव एवं सृष्टि का विस्तार होता है. सूर्य समस्त उत्पत्ति का कारण है, परिवार में सूर्य कर्ता है, राज्य में राजा है, ग्राम में मुखिया, ग्रहों में सबसे प्रमुख हैं. आध्यात्मिक विद्या, अग्नि एवं तेज है, अधीनता स्वीकार नहीं करता. वह आदेश देता है किसी के आदेश का पालन नही करता. अपने महत्व एवं मर्यादा को समझता हैं. जिसका सूर्य बलवान है, वह उन्नति, वृद्धि, निर्माण करने वाला होता है. सूर्य हृदय का कारक है तथा इसके अलावा सूर्य नेत्र ज्योती का भी कारक है
कुण्डली में सूर्य के बल के मुताबिक जीवन में शक्ति होती है जिस कुंडली में सूर्य कमजोर रहता है वह जातक शारीरिक रूप से कमजोर होता है, इसलिए दूसरे ग्रह भी पूर्ण फल नहीं दे पाते. फलित ज्योतिष में सूर्य की अन्य ग्रहों से दूरी से पता चलता है. उसका नीच, उच्च, स्वग्रही, मित्र या शत्रु ग्रही तो नहीं यह तथ्य फलित ज्योतिष में महत्वपूर्ण है. सूर्य कि लग्न में स्थिति जातक कि आकृति, शारीरिक गठन, वर्ण रंग, रूप प्रभावित करती है. दशम भाव का सूर्य अधिक बलवान माना जाता है. सूर्य का कुण्डली में कमजोर होना बुरे प्रभाव देता है. कुंडली का अध्ययन करते समय कुंडली में सूर्य की स्थिति, बल तथा कुंडली के दूसरे शुभ तथा अशुभ ग्रहों के सूर्य पर प्रभाव को ध्यानपूर्वक देखना अति आवश्यक होता है.
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