कर्ण पिशाचिनी प्रयोग

आपका हमारी वेब साईट पर स्वागत है!आज मैं आपको इस पोस्ट में कर्णपिशाचिन साधना एक विधि बताऊंगा जिसको मैं खुद आज़माया था।

कर्ण पिशाचिनी प्रयोग karnpishachini sadhana



किसी भी शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से यह साधना शुरू कर सकते है। इस साधना में लाल रंग के आसन और लाल वस्त्र को धारण करना है। साधना एकांत कमरे में करें । दिशा उत्तर रहेगी। साधना रात्रि काल मे 10 बजे शुरू करें। इस साधना में तिल के तेल का दीपक जलाना है। आचमन और पवित्रीकरण के बाद सिर्फ गणेश जी का एक माला मंत्र जप करें- ॐ गं गणपतये नमः ।
अन्य किसी भी पूजा की जरूरत नही है। दीपक चौमुखी जलाएं। साधना काल मे पूर्ण शुचिता और सात्विक रहें। यह साधना 11 दिनों की होगी । रोज 5500 मंत्र जप का संकल्प लेना है। 12 वे दिन घी तिल गुड़ से हवन करने है। साधना के 5 दिन बाद आपको आपके कमरे की सामने की दीवार पर एक परछाई दिखती नज़र आएगी जो कि 11 वे दिन तक एक स्त्री रूप धारण करके आपके सम्मुख आ जायेगी तब आप उससे वचन ले।

कर्णपिशाची मंत्र

ॐ ह्रीं कर्ण पिशाचिनी में करणे कथय कथय स्वाहा


कर्ण पिशाचिनी वीडियो लिंक

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