स्वपनेश्वरी साधना
अथ श्री स्वपनेश्वरी साधना
जीवन मे कभी कभी बहुत विकट समस्याएं आ जाती है जिनका उपाय नही सूझता,कोई मार्ग नही दिखता| क्या सही है और क्या गलत है इसका निर्णय बहुत कठिन हो जाता है | कोई प्रश्न जिसका उत्तर आवश्यक हो परन्तु उत्तर मिल नही रहा हो तो ऐसे मे स्वपनेशवरी साधना दिव्य समाधान देता है| आज आपको इस साधना के बारे मे विस्तार से बता रहे हैं|
kaal gyan sadhana
मंत्र:- ऊँ श्रीं स्वपनेश्वरी कार्यं मे वद स्वाहा
विनियोग:- अस्य स्वप्नेश्वरी मंत्रस्य उपमन्युऋषि: बृहतीच्छन्द: स्वपनेश्वरी देवता ममाभीष्ट सिद्वयर्थे जपे विनियोग:
ऋष्यादिन्यास:- ऊँ उपमन्यु ऋषये नम: शिरसि
बृहतीच्छन्दसे नमो मुखे
स्वपनेश्वरी देवतायै नमो हृदि
विनियोगाय नम: सर्वांगे
करन्यास:- ऊँ श्री अंगुष्ठाभ्याम नम:
स्वपनेश्वरी तर्जनीभ्यां नम:
कार्यं मध्यमाभ्यां नम:
मे अनिकाभ्यां नम:
वद कनिष्ठ्काभ्यां नम:
स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:
हृदयादिन्यास:- ऊँ श्रीं हृदयाय नम:
स्वपनेश्वरी शिरसे स्वाहा
कार्यं शिखायै वषट
मे कवचाय हुम
वद नेत्रत्रयाय वौषट
स्वाहा अस्त्राय फट्
ध्यान:- ऊँ वराभये पद्य्युगं दधानां करैश्चतुर्भि:
कनकासनस्थां, सिताम्बरां शारदचंद्रकान्ति स्वपनेश्वरीं नौमि विभूषणाढ्याम्
सबसे पहले साधना का संकल्प कर लेना चाहिए,आसन,माला व यंत्र की प्रतिष्ठा कर लेनी चाहिए,
सर्वतोभद्रमंडल पर “ऊँ मं मण्डूकादि परतत्वान्त पीठ देवताभ्यो नम:” मंत्र से पूजन करें,गणेश पूजन करें व पहले एक माला गणेश जी का जप करें||
पूर्वादिक्रम से नव पीठ शक्तियो की निम्न प्रकार पूजा करें
ऊँ जयायै नम:
ऊँ विजयायै नम:
ऊँ अजितायै नम:
ऊँ अपराजितायै नम:
ऊँ नित्यायै नम:
ऊँ विलासिन्यै नम:
ऊँ दोग्रध्यै नम:
ऊँ अघोरायै नम:
फिर मध्य मे --- ऊँ मंगलायै नम:
फिर इस मंत्र का २१ दिनो मे एक लाख जप कर विल्वपत्रो से हवन करें

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