मंगल दोष का उपाय


मांगलिक योग/ दोष

अक्सर हम मांगलिक योग के बारे मे सुनते है जिससे आमतौर पर लोग भयभीत रहते हैं|
आज मै आपको इस योग के प्रभाव का जो कारण है वह समझाऊगा|अगर मंगल व्यक्ति की जन्म कुण्डली मे लग्न,चतुर्थ,सप्तम्,अष्टम् व द्वादश भाव मे हो तो कुण्डली मांगलिक मानी जाती है और वैवाहिक जीवन के लिए प्रतिकूल माना जाता है क्योकि इन भावो मे बैठकर मंगल किसी न किसी प्रकार से विवाह स्थान पर दृष्टी डालता है| सिर्फ आठवे घर मे रहने से दृष्टी नही डालता| प्रत्येक भाव से उसका दूसरा घर उसकी पूंजी मानी जाती है अत: आठवा भाव ,सातवे भाव की पूजी है जहॉ मंगल बैठकर कर उग्रता लाता है जबकि अन्य लग्न ,चतुर्थ व द्वादश से दृष्टी द्वारा उग्रता लाता है| मैने व्यवहार मे देखा है की चतुर्थ दृष्टी वाला अर्थात चतुर्थ भाव वाला मंगल शारिरिक हानि नही देता बल्कि अक्सर दोनो को दूर रखता है| अष्टम वाला मंगल सबसे खराब फल देता है|

अगर मंगल लग्न मे मेष रॉशि का हो,चतुर्थ मे वृश्चिक का,सप्तम मे मकर का हो तो ऐसा मांगलिक शारिरिक हानि नही करता सिर्फ मांगलिक वाला व्यक्ति अगले पर हावी रहेगा,कभी कभार हाथ भी उठा सकता है,|

मंगल दोष के उपचार मे कुंभ विवाह कारगर माना जाता है परन्तु मंगल दोष हो ही ऐसा निर्णय तुरंत नही कर सकते| मंगल दोष के साथ साथ अगर वैध्व्य या विधुर योग हो तो ही कुंभ विवाह की जरूरत है अन्यथा सामान्य उपाय ही काफी है| मंगल सेना पति है इसलिए उग्र है,हमेशा आवेश मे रहता है,मारने को तैयार रहता है इसलिए ही उसकी दृष्टी मे भी उग्रता है जिसके कारण मंगल को हानिकारक बताया जाता है,| मांगलिक  दोष से पीडित व्यक्ति को उम्र बढने के साथ अपने आप ही आराम मिल जाता है,28 वर्ष के बाद मंगल दोष समाप्त होने लगता है क्यो की मंगल खून की गर्मी या उग्रता को व्यक्त करता है जो उम्र के साथ शांत होने लगती है| जिन लोगो को मंगल परेशान किया हो उन्हे रक्तदान करना चहिए जिससे मंगल दोष शांत रहता है|


अगर मंगल पर गुरू की दृष्टी या युति हो तो मंगल शुभ होने लगता है और अगर मंगल पर शनि की दृष्टी हो या मंगल शनि के घर मे हो तो मंगल पूरे बल से मांगलिक दोष का बुरा परिणाम नही दे पाता क्योकी शत्रु के घर मे होने से या देखे जाने से उसे हानि पहुचाने का पर्याप्त अवसर नही मिल पाता है|


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